ब्रांडिंग और ब्रांड डिज़ाइन का विकास
आज के युग में यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि एक ऐसी दुनिया कैसी होगी जहाँ बाज़ार में तीस तरह के साबुन या अलग-अलग फ्लेवर के पेय मौजूद न हों। लेकिन बीसवीं सदी से पहले, आम उपभोक्ता के पास विकल्प बहुत सीमित थे। स्थानीय जनरल स्टोर पर शायद चाय, कॉफी, और चीनी का सिर्फ एक ही ब्रांड मिलता था।youtubelinkedin
शुरुआती दौर: जब विकल्प सीमित थे
बीसवीं सदी के मोड़ पर सब कुछ बदल गया। बड़े पैमाने पर उत्पादन और दूर-दराज तक फैली परिवहन व्यवस्था ने मिलकर उपभोक्ताओं को पहले से कहीं ज्यादा विकल्प दिए। निर्माताओं के लिए इसका मतलब था कड़ी प्रतिस्पर्धा।linkedinyoutube
सफल होने के लिए एक उत्पाद में गुणवत्ता, मूल्य और एक अच्छी प्रतिष्ठा की ज़रूरत थी। लेकिन सबसे पहले उसे शेल्फ पर या किसी विज्ञापन में ग्राहक का ध्यान आकर्षित करना था। यह शेल्फ पर "मुझे खरीदो" चिल्लाने जैसा था, लेकिन बिना आवाज़ के।youtubelinkedin
दृश्य पहचान की शक्ति: मॉर्टन साल्ट और मिशेलिन
चलिए मॉर्टन साल्ट का बेमिसाल उदाहरण देखते हैं। 1911 में कंपनी ने अपने पहले राष्ट्रीय विज्ञापन अभियान के लिए एक चुनौती का सामना किया। अब नमक दृश्य रूप में उतना रोमांचक नहीं है। तो फिर आप नमक जैसी दृश्य रूप से प्रेरणा न देने वाली वस्तु को यादगार कैसे बनाते हैं?familymindedyoutube
उन्होंने मॉर्टन साल्ट गर्ल को पेश किया जो उत्पाद का सबसे बड़ा फायदा दिखाती थी: यह नमी में जमता नहीं। और यहीं से प्रसिद्ध स्लोगन "When it rains, it pours" का जन्म हुआ। एक सरल विज़ुअल और स्पष्ट संदेश के इस शक्तिशाली संयोजन ने ब्रांड को सफल बनाया, और मॉर्टन आज भी बाज़ार में सबसे आगे है।scribd+1youtube
उसी दौर का एक और शानदार उदाहरण है मिशेलिन। नमक की तरह टायर भी एक सामान्य उत्पाद थे। इसलिए 1898 में मिशेलिन ने बिबेंडम को पेश किया - टायरों के ढेर से बना एक हंसमुख किरदार। इस मिशेलिन मैन मैस्कॉट ने तुरंत विश्वसनीयता और भरोसे का एहसास कराया, और एक बेजान औद्योगिक उत्पाद को सड़क का भरोसेमंद साथी बना दिया।michelin+1youtube
ब्रांड व्यक्तित्व का उदय: RCA, कोका-कोला, और कोडक
जैसे-जैसे बाज़ार में प्रोडक्ट्स की भरमार होने लगी, कंपनियों ने एक मज़बूत संदेश और ब्रांड मैनेजमेंट की ज़रूरत को समझा। कई कंपनियों ने अपनी यूनीक सेलिंग प्रपोज़िशन (USP) पर ज़ोर दिया - यानी वो क्या विशेषता थी जो उन्हें पहली, एकमात्र और सबसे बेहतर बनाती थी।youtube
RCA का ब्रांड और उसका निप्पर नाम का कुत्ता एक-दूसरे के पर्यायवाची बन गए। जो बड़ी ध्यान से ग्रामोफोन पर अपने मालिक की आवाज़ सुन रहा था। यह उस ज़माने का इन्फोग्राफिक था - एकदम सीधा, सरल और प्रभावी।youtube
लेकिन कुछ कंपनियाँ ब्रांड की एक अलग पहचान बनाने की गहरी कला को समझ चुकी थीं। उस ज़माने में जब फ्रिज नहीं होते थे और ठंडी बोतलें बर्फ से भरे कूलर से निकाली जाती थीं।youtube
कोका-कोला ने एक शानदार रणनीति सोची - एक अनोखी बोतल का आकार जिसे भीड़ में सिर्फ छूकर भी पहचाना जा सके। 1940 के दशक तक कोका-कोला सिर्फ कोई ड्रिंक नहीं बेच रहा था; वह अमेरिकन वे ऑफ लाइफ का एक सपना बेच रहा था। यह उस समय का अल्टिमेट UX (यूज़र एक्सपीरियंस) था - आँख बंद करके भी सही प्रोडक्ट चुन लेने का अनुभव।youtube
कोडक पहली कंपनी थी जिसने फोटोग्राफी को आम लोगों तक पहुँचाया। कई सालों तक सिर्फ कोडक का नाम ही बाज़ार पर राज करने के लिए काफी था। जब मुकाबला बढ़ा, तो कोडक ने और मुश्किल फीचर्स जोड़ने की बजाय अपने प्रोडक्ट को और भी आसान बना दिया।youtube
उनकी पूरी ब्रांडिंग का आधार ही था इस्तेमाल में आसानी। यह उस समय का "प्लग एंड प्ले" था - बस क्लिक करो और यादें बनाओ। कैमरा इतना सरल था कि एक बच्चा भी उसे चला सकता था। जो उस युग का सबसे बेहतरीन यूज़र फ्रेंडली डिज़ाइन था।youtube
भावनात्मक कनेक्शन: फंक्शनल बेनिफिट्स से परे
सबसे सफल कंपनियाँ अब यह समझ रही थीं कि असली खेल भावनात्मक जुड़ाव का है। वे अब उत्पाद के फायदे गिनाने की बजाय एक बेहतर जीवन का सपना बेच रही थीं - जिसमें रोमांस, खुशी, और प्यार से भरा है।youtube
दूसरे ब्रांड्स स्टेटस, रोमांस या एक स्वस्थ जीवन का वादा करते हैं। लक्षित दर्शकों को डर की नर्व पर दबाकर सीधे दर्शक की भावनाओं से जुड़ना। यह रणनीति अक्सर लोगों की असुरक्षाओं को निशाना बनाती थी:youtube
"क्या आप आकर्षक नहीं हैं? या पर्याप्त अच्छी सुगंध नहीं आती?" चिंता बिल्कुल न करें। बस हमारा उत्पाद खरीदें और आपकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी।youtube
ब्रांड्स ने खुद को समाधान के रूप में प्रस्तुत किया। "आपकी सांस सब आपके जीवन को परेशान नहीं करेगी," ब्रांड्स ने वादा किया।youtube
आधुनिक ब्रांडिंग: चैनलों में स्थिरता
1950 के दशक के अंत तक आधुनिक ब्रांडिंग के मूल घटक स्थापित हो चुके थे: ब्रांड अवेयरनेस, विज़ुअल कंसिस्टेंसी, स्पष्ट संदेश, और ग्राहकों की वफादारी। लेकिन यह लड़ाई अभी भी दुकान की शेल्फ, अखबार के पन्नों और रेडियो तक ही सीमित थी।youtube
1950 के बाद टेलीविज़न विज्ञापन का सबसे बड़ा ज़रिया बन गया। इस बदलाव ने कंपनियों को रेडियो के बोले गए शब्दों से ध्यान हटाकर एक विज़ुअल मीडियम पर फोकस करने के लिए मजबूर किया। नतीजे में दृश्यों की कहीं बोल्ड हो गई।youtube
इंटरनेट और अब मोबाइल कम्युनिकेशन के आने से दृश्य हैं हमारे कल्चर में बातचीत का मुख्य तरीका बन गई है। कंपनियों ने जल्दी ही एक नज़र से दिखने वाले विज़ुअल मैसेज की अहमियत को समझ लिया।youtube
कॉम्पिटिशन से अलग दिखने के लिए एक अलग ब्रांड मैसेज बेहद ज़रूरी था। उस मैसेज को हर बार एक जैसा रहना ज़रूरी था जब भी ऑडियंस उसके साथ इंटरैक्ट करती थी।youtube
ब्रांड स्ट्रैटेजी के उदाहरण: फोक्सवैगन और एविस
ब्रांड स्ट्रैटेजी का एक बेहतरीन उदाहरण देखना है, तो हम फोक्सवैगन की 1960 के दशक की कैंपेन देख सकते हैं। उनका मुख्य मैसेज था कि यह कार समझदार सोच वालों के लिए है - स्टेटस के पीछे भागने वालों के लिए नहीं।youtube
भले ही हर ऐड का लेआउट, कॉपी, और इमेजरी बदलते रहे, पर उनकी असली कहानी हमेशा एक जैसी रही। यही तो है ब्रांड स्ट्रैटेजी की पहली सीख - एक मज़बूत कहानी ही आपका बेस है।youtube
एविस रेंट ए कार की "We Try Harder" कैंपेन भी उस दौर का एक और क्लासिक उदाहरण है। उन्होंने खुलेआम माना कि वो नंबर दो हैं, जिससे उन्होंने तुरंत भरोसा जीता और अपनी कमज़ोरी को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया।youtube
उनकी कहानी सीधी थी: "क्योंकि हम सबसे बड़े नहीं हैं, इसलिए हमारी सर्विस सबसे अच्छी होनी चाहिए।" इस तरह की कंसिस्टेंसी किसी भी ब्रांड के लिए बहुत ज़रूरी है।youtube
कोका-कोला का भावनात्मक स्टोरीटेलिंग
1971 में कोका-कोला ने एक ऐसा कमर्शियल लॉन्च किया जिसने ब्रांड स्टोरीटेलिंग को हमेशा के लिए बदल दिया। इटली की एक पहाड़ी पर अलग-अलग देशों के नौजवानों ने एक साथ मिलकर पूरी दुनिया को एकता और सद्भावना का गीत सुनाया।youtube
यह पहली बार था जब किसी ग्लोबल ब्रांड का मुख्य मैसेज सेल्फ प्रोडक्ट के बारे में नहीं, बल्कि इंसानियत से जुड़ी एक मज़बूत सोच के बारे में था। यह इमोशनल स्टोरीटेलिंग का एक शानदार उदाहरण था।youtube
MTV: नियम तोड़ने की कला
1980 के दशक के आते-आते ब्रांडिंग पुराने दौर के सख्त और फॉर्मल कॉर्पोरेट स्टाइल से आज़ाद हो गया। MTV इस क्रांति में सबसे आगे और प्रेरणादायक था। उन्होंने एक लगातार बदलने वाला लोगो, हर तरह के लोगो को शामिल करना, और एक बिंदास और मज़ेदार एटीट्यूड अपनाया।youtube
उनका ब्रांड किसी सख्त ग्रिड पर नहीं बना था, बल्कि उसे फ्लेक्सिबल और अनप्रेडिक्टेबल होने के लिए डिज़ाइन किया गया था। पुरानी सोच वाले ब्रांड्स के लिए तो यह एक ही पोस्टर पर अलग-अलग फॉन्ट्स इस्तेमाल करने जैसा था - मतलब पूरी तरह से कैओस।youtube
लेकिन MTV के लिए यही "कैओस" उनकी पहचान थी। उनका तो एक ही नियम था: सारे नियम तोड़ दो।youtube
डिजिटल क्रांति: चुनौतियां और अवसर
1990 के दशक में जैसे ही इंटरनेट तेज़ी से फैला, ब्रांड्स ने ऑनलाइन जाने की होड़ लगा दी। मगर बिना सही रणनीति के, कई शुरुआती वेबसाइट्स डिजिटल डिज़ास्टर साबित हुईं।youtube
यह एक नया मैदान था और डिजिटल डिज़ाइन के नियम किसी को पता नहीं थे। कई ब्रांड्स ने एक बहुत बड़ी गलती कर दी - उन्होंने अपनी वेबसाइट को सिर्फ एक डिजिटल बिलबोर्ड समझ लिया, और बिना सोचे-समझे अपने प्रिंट विज्ञापनों को वैसे का वैसे ऑनलाइन चिपका दिया।youtube
इससे न केवल उनकी ऑनलाइन उपस्थिति बेजान लगने लगी, बल्कि उपयोगकर्ताओं का अनुभव भी खराब हुआ। नतीजा अक्सर एक लो-रेज़, पिक्सेलेटेड इमेज होते थे, जिसमें अच्छे UX का कोई ध्यान नहीं रखा जाता था।youtube
आज की मल्टीचैनल दुनिया में ब्रांडिंग
इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने से कम्युनिकेशन के नए रास्ते खुले, लेकिन ब्रांडिंग के लिए नई मुश्किलें भी खड़ी हो गईं। कोई ब्रांड अपनी विशिष्ट पहचान कैसे बनाए रखे?youtube
चाहे उसका लोगो सिकुड़ कर कुछ पिक्सल्स का छोटा सा फेविकॉन बन जाता है, या एक शानदार प्रिंटेड ब्रोशर और एक रेस्पॉन्सिव वेबसाइट जैसे बिल्कुल अलग-अलग मीडियम्स पर विज़ुअल कंसिस्टेंसी कैसे बनाए रख सकते हैं।youtube
यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। प्रिंट (CMYK) और स्क्रीन (RGB) दोनों के लिए अपने कलर्स को सटीक और सुसंगत रखना तो ऐसा है जैसे दो से क्लाइंट्स को एक साथ खुश करने की कोशिश करना, जो एक-दूसरे से पूरी तरह उल्टी और परस्पर विरोधी चीज़ें चाहते हैं।youtube
निष्कर्ष: भविष्य की ब्रांडिंग
आज की मल्टीचैनल दुनिया में एक ब्रांड का मैसेज, उसकी वैल्यूज़ और वॉइस एकदम सॉलिड होना चाहिए। चाहे वो किसी बस शेल्टर ऐड की टाइपोग्राफी हो या फिर किसी सोशल मीडिया पोस्ट का कैरेक्टर काउंट।youtube
आज की ब्रांडिंग 1950 के दशक के मुकाबले कहीं ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड है। कम्युनिकेशन के तरीके लगातार बदल रहे हैं और बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन असल में काम वही है।youtube
आपको अब भी एक मज़बूत, साफ, अनोखा और कंपेलिंग मैसेज बनाना है - यही आपके ब्रांड का DNA है। और फिर, हर मौके का फायदा उठाकर उस मैसेज को आगे बढ़ाना है।youtube
आपकी ब्रांड गाइडलाइन्स इतनी मज़बूत होनी चाहिए कि एक स्मार्टफोन पर रेस्पॉन्सिव डिज़ाइन से लेकर एक बड़े से प्रिंट ऐड तक, सबकुछ संभाल सके। यह ऐसा है जैसे एक ही लोगो को ऐसे डिज़ाइन करना, जो एक छोटे से फेविकॉन पर भी परफेक्ट दिखे और एक बड़े बिलबोर्ड पर भी परफेक्ट दिखे। यह मुश्किल है, लेकिन बहुत ज़रूरी भी है।youtube
यह ब्लॉग पोस्ट ब्रांडिंग और ब्रांड डिज़ाइन के विकास की एक संपूर्ण यात्रा प्रस्तुत करता है - प्राचीन निशानों से लेकर आज के डिजिटल युग तक। मॉर्टन साल्ट से लेकर कोका-कोला तक, हर उदाहरण हमें सिखाता है कि सफल ब्रांडिंग का राज़ एक मज़बूत कहानी और लगातार संदेश में छुपा है।
- https://www.youtube.com/watch?v=JsBpvgmOO0c
- https://www.linkedin.com/pulse/evolution-visual-brand-identity-over-last-25-years-tony-howe-f484c
- https://familyminded.com/s/oldest-mascots-in-the-world
- https://www.scribd.com/document/251220906/Companies-Taglines
- https://www.michelin.com/en/group/michelin-a-powerful-brand
- https://www.linkedin.com/pulse/history-branding-journey-through-time-%E4%BD%98-%E5%90%91%E5%BF%A0-82vse
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- https://www.reddit.com/r/Cooking/comments/19dcxzv/do_stores_not_carry_kosher_salt_right_now/
- https://www.youtube.com/watch?v=nP_Sn-_O4iE
- https://www.youtube.com/watch?v=nL7necnqoKI
- https://www.youtube.com/watch?v=D7ZERYhuwK0
- https://uk.linkedin.com/in/benjamin-morton-4290972a
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